भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मयख़ाना / ओरहान वेली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ओरहान वेली |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} Category:तुर्की भाषा …) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
हर रात | हर रात | ||
उसी के ख़्यालों में गुम ? | उसी के ख़्यालों में गुम ? | ||
+ | |||
+ | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल''' | ||
</poem> | </poem> |
03:52, 2 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
|
जब
मुहब्बत ही
नहीं रही उससे
तो
उस मयखाने में
जाऊँ ही क्यों
जहाँ पिया करता था
हर रात
उसी के ख़्यालों में गुम ?
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल