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"चेतावनी / सत्यनारायण" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्यनारायण }} {{KKCatNavgeet}} <poem> ख़बरदार ‘राजा नंगा …)
 
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00:47, 3 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

      ख़बरदार
      ‘राजा नंगा है‘...
      मत कहना

राजा नंगा है तो है
इससे तुमको क्या
सच को सच कहने पर
होगी घोर समस्या
    सभी सयाने चुप हैं
    तुम भी चुप रहना

राजा दिन को रात कहे तो
रात कहो तुम
राजा को जो भाये
वैसी बात करो तुम
      जैसे राखे राजा
      वैसे ही रहना
राजा जो बोले
समझो कानून वही है
राजा उल्टी चाल चले
तो वही सही है
      इस उल्टी गंगा में
      तुम उल्टा बहना

राजा की तुम अगर
खिलाफ़त कभी करोगे
चौराहे पर सरेआम
बेमौत मरोगे
      अब तक सहते आये हो
      अब भी सहना ।