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"ममता से करुणा से / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर
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राह बनो जंगल में | राह बनो जंगल में | ||
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लहरों में नाव बनो | लहरों में नाव बनो | ||
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सेतु बनो दलदल में | सेतु बनो दलदल में | ||
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13:21, 4 जनवरी 2011 का अवतरण
ममता से, करुणा से, नेह से दुलार से
घाव जहाँ भी देखो, सहलाओ प्यार से ।
नारों से भरो नहीं
भरो नहीं वादों से
अंतराल भरो सदा
गीतों-संवादों से
हो जाएँगे पठार शर्तिया कछार से ।
भटके ना राहगीर
कोई अँधियारे में
दीये की तरह जलो
घर के गलियारे में
लड़ो आर-पार की लड़ाई अंधकार से ।
हाथ बनो, पैर बनो
राह बनो जंगल में
लहरों में नाव बनो
सेतु बनो दलदल में
प्यासों की प्यास हरो पानी की धार से ।