भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ममता से करुणा से / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=  
 
|संग्रह=  
 
}}
 
}}
[[Category:गीत]]
+
{{KKCatNavgeet}}
 
+
<poem>
 
ममता से, करुणा से, नेह से दुलार से
 
ममता से, करुणा से, नेह से दुलार से
 
+
घाव जहाँ भी देखो, सहलाओ प्यार से ।
घाव जहां भी देखो, सहलाओ प्यार से।
+
 
+
  
 
नारों से भरो नहीं
 
नारों से भरो नहीं
 
 
भरो नहीं वादों से
 
भरो नहीं वादों से
 
 
अंतराल भरो सदा
 
अंतराल भरो सदा
 
+
गीतों-संवादों से
गीतों संवादों से
+
हो जाएँगे पठार शर्तिया कछार से ।
 
+
हो जायेंगे पठार शर्तिया कछार से।
+
 
+
  
 
भटके ना राहगीर  
 
भटके ना राहगीर  
 
+
कोई अँधियारे में
कोई अंधियारे में
+
 
+
 
दीये की तरह जलो
 
दीये की तरह जलो
 
 
घर के गलियारे में  
 
घर के गलियारे में  
 
+
लड़ो आर-पार की लड़ाई अंधकार से ।
 
+
लड़ो आर-पार की लड़ाई अंधकार से।
+
 
+
  
 
हाथ बनो, पैर बनो
 
हाथ बनो, पैर बनो
 
 
राह बनो जंगल में
 
राह बनो जंगल में
 
 
लहरों में नाव बनो
 
लहरों में नाव बनो
 
 
सेतु बनो दलदल में
 
सेतु बनो दलदल में
 
+
प्यासों की प्यास हरो पानी की धार से ।
प्यासों की प्यास हरो पानी की धार से।
+
</poem>

13:21, 4 जनवरी 2011 का अवतरण

ममता से, करुणा से, नेह से दुलार से
घाव जहाँ भी देखो, सहलाओ प्यार से ।

नारों से भरो नहीं
भरो नहीं वादों से
अंतराल भरो सदा
गीतों-संवादों से
हो जाएँगे पठार शर्तिया कछार से ।

भटके ना राहगीर
कोई अँधियारे में
दीये की तरह जलो
घर के गलियारे में
लड़ो आर-पार की लड़ाई अंधकार से ।

हाथ बनो, पैर बनो
राह बनो जंगल में
लहरों में नाव बनो
सेतु बनो दलदल में
प्यासों की प्यास हरो पानी की धार से ।