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"शिरकत / अजय कृष्ण" के अवतरणों में अंतर

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14:18, 6 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

अब तक सन्ना रहा है तप्त आसमान
भटक रहा है आँधियों में झुलसता गिद्ध
थकता है दिन
पत्ते होते हैं सुर्ख़
शान्त पड़ते हैं वृक्ष
फिर भी काफ़ी गति है हवा में
दर्द से सिहर उठती हैं फुनगियाँ
जब पोरों में सूखता है आख़िरी कतरा

खखोरता है खुरपे पर
कोई बचा-खुचा सीमेंट
कान्हे पर लिए बन्दूक
खोजता है पानी एक जवान

और उधर
फिसलता है सूरज / उतरती है ज़मीन पर /
जले हुए जंगलों की राख

आज की तारीख़ में
इतनी सी शिरकत
करता है इतिहास