भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सोलहवीं मोमबत्ती / प्रदीपचन्द्र पांडे" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीपचन्द्र पांडे |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> सोलहवी…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:28, 8 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
सोलहवीं मोमबत्ती के
होते हैं
पंख
वह फूँकने से बुझती नहीं
उड़ने लगती है
जहाँ-जहाँ टपकती हैं
उसकी बूँदें
वहाँ कुछ जलता नहीं
सिंकता-सा है
और सुरक्षित रहता है
सब कुछ
बूँद के नीचे !