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"ताव खाया सूरज / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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13:45, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

दिन का घोड़ा
बिना घुड़सवार के खड़ा है
आदमी गिर पड़ा है
ऐसा देखकर
ताव खाया सूरज
हँस पड़ा है।

रचनाकाल: २८-०८-१९६५