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"खोखले आदमी / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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13:58, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
कम नहीं
बहुत हैं
खोखले आदमी
यहाँ,
वहाँ
घूमते हुए
इस
उस
के
पैर चूमते हुए
दया और दुआ
इस
उस
की
माँगते हुए
जिए बिना
जिए हुए
और मरे बिना मरे हुए
खाल की खोली में
खाली समय
भरे हुए।
रचनाकाल: २९-०९-१९६५