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"कोई देखता है मुझे / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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15:22, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

कोई देखता है मुझे
मेरे भीतर
और बाहर
मेरी तरह का
मुझसे मिलता
परिचय में अपरिचय
व्यक्त में अव्यक्त
लिए
बड़ा हमदर्द
मगर दर्द से मुक्त
निर्विकार
निःसंग
निरलस
नितान्त समदृष्टा
न कोई गैर
न कोई और

रचनाकाल: १४-०३-१९६९