भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लाठी में हैं गुण बहुत / गिरिधर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (नया पृष्ठ: लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग । गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचा…)
 
छो
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग ।
+
लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग । <बर>
गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचावे अंग ।
+
गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचावे अंग । <बर>
 
तहां बचावे अंग,
 
तहां बचावे अंग,

17:30, 9 जनवरी 2011 का अवतरण

लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग । <बर> गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचावे अंग । <बर> तहां बचावे अंग,