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"तुम्हीं आओ न / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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20:12, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
केन नदी से दूर-बहुत दूर
मैं बैठा हूँ-
खिन्न नतमुख, उदास;
न आएगी यहाँ मेरी नदी-
न कोई उसकी लहर।
तुम्हीं आओ न
मेरी नदी के-
उच्छल, अधीर, लहरों के
कल्लोल
कगार पर छाप मारती हुई
उच्छल, अधीर, लहरों के
हिल्लोल
रचनाकाल: २१-१०-१९७०