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"आदमी मरा नहीं / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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23:04, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
मैंने
शव लाद दिया
शब्दों की पीठ पर
मोटर से कुचल गए
मानुस का
और फिर
चला गया घर
शान्त हुआ मन
जैसे कुछ हुआ नहीं
आदमी मरा नहीं,
रचनाकाल: १२-०६-१९७२, रात ९:३० बजे, मद्रास