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23:27, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
दिन अँधेरा-मेघ झरते,
खल पवन के, आक्रमण से
वन दुखी बाहें उठाए
रोर हाहाकार करता
चपल चपला जलद पट को
छिन्न करके झाँकती है
हास बंकिम हृदयभेदी
शून्य से भू पर बरसता।
रचनाकाल: ०५-११-६१