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23:29, 12 जनवरी 2011 का अवतरण

मेरे खाली सीने में उगी है
एक हरी कविता

चुपके से बढ़ती है
उसकी जड़ें
सुबह-शाम-रात

मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार