भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"परवाज़ / रतन सिंह ढिल्लों" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रतन सिंह ढिल्लों |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> शब्द को धुन…)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:03, 17 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

शब्द को
धुन को
आवाज़ को
सुर-ताल को

विचार को
प्यार को
ख़ुशबू को
उड़ान को
मुस्कान को
और तेरी-मेरी
पहचान को

कोई दीवार
कोई तार
कोई बंदूक
कोई तलवार
रोक नहीं सकती
 
आ शब्द बन जाएँ
अर्थ बन जाएँ
सुर-ताज बन जाएँ
और आजाद़ पंछियों की
परवाज़ बन जाएँ ।
 
मूल पंजाबी से अनुवाद : अर्जुन निराला