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"तरंग / रतन सिंह ढिल्लों" के अवतरणों में अंतर

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21:05, 17 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

ख़त्म नहीं होता
कभी भी तरंग का सफ़र

बाहर की तरफ़ फैलती है
लौट आती है फिर केंद्र की ओर
अपने ही संगीत संग
नाचती और गाती
रहती है तरंग ।
 
कब ख़त्म होगा
तरंग का यह सफ़र ।
 
मूल पंजाबी से अनुवाद : अर्जुन निराला