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"किताब में लिखे तुम / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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17:49, 21 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

किताब में लिखे तुम,
बड़े अच्छे लगते हो कविवर!

किताब से बाहर,
पेट में पलस्टर लगाए,
अस्पताल में दाखिल
बीमार दिखते हो तुम,
कविवर!

अस्पताल से बाहर,
अस्तित्व को पाने के लिए,
सम्प्रेषण कर पाने के लिए,
जी-जान से कुलकते
बड़े जीवंत
दिखते हो तुम
कविवर!

रचनाकाल: १९-०९-१९९०