भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अच्छा लगता है / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=खुली आँखें खुले डैने / …)
 
छो ("अच्छा लगता है / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

17:52, 21 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

अच्छा लगता है
जब कोई
बच्चा खिल-खिल
हँसता है।
वैभव का विष
तुरत उतरता है।
जीने में
सचमुच जीने का
सुख मिलता है।

रचनाकाल: १७-०३-१९९१