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"अजीब आदमी हो जी! / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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17:55, 21 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
अजीब आदमी हो जी!
फजीहत
फजीहत कहते हो
फजीहत फाड़कर
मैदान में
नहीं उतरते हो
मायूस बैठे
मातम मनाते हो।
कुछ तो करो जी,
खाल की ही
खजड़ी बजाओ,
उछलो
कूदो
नाचो
गाओ
माहौल तो
जिंदगी जीने का
बनाओ
हँसो
और
हँसाओ।
रचनाकाल: ०६-०४-१९९१