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"सभ्यता-1 / अरुण देव" के अवतरणों में अंतर

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13:36, 26 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

स्त्री के बालों से डरती है सभ्यता
उसकी हँसी से
उसकी देह की बनावट से
उसके होने भर से थरथराने लगती है

सभ्यता का अर्थात
स्त्री की पीठ है ज़ख़्मों से अँटी