भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सभ्यता-2 / अरुण देव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुण देव |संग्रह=क्या तो समय / अरुण देव }} {{KKCatKavita}} <poem>…)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:40, 26 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

शब्द उच्चरित हुए
एक स्वर्गीय संगीत में लिपटी थी उनकी आत्मीयता
छंदों में छिपी थी क्रूरता
उन्हें याद किया गया मंत्रों की तरह
बड़े जतन से लिखा गया उन्हें
पत्थर की क़िताबें ठहरीं

पुरानी किताबों ने बनाई सभ्यता
सभ्यता पर भारी हैं अब क़िताबें