भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्यारी (विलाप) / भिखारी ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भिखारी ठाकुर |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} [[Category:भोजपुरी भाषा]…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:31, 1 फ़रवरी 2011 का अवतरण
हाय हाय राजा कैसे कटिये सारी रतिया
जबले गइले राजा सुधियो ना लिहले, लिखिया ना भेजे पतिया ।। हाय हाय....
हाय दिनवां बितेला सैयां बटिया जोहत तोर, तारा गिनत रतियाँ ।। हाय हाय...
जब सुधि आवै सैयां तोरी सुरतिया बिहरत मोर छतिया ।। हाय हाय...
नाथ शरन पिया भइले बेदरदा मनलेना मोर बतिया ।। हाय हाय...