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गमकता जगमगाता है अनोखा राम का सेहरा
जो देखा है वो कहता है रमेती राम का सेहरा ।
हजारों भूप आये थे, जनकपुर बांध कर सेहरा
रखा अभिमान सेहरों का सलोने श्याम ने सेहरा ।
उधर है जानकी के हाथ में जयमाल शादी की
इधर है राम के सर पर विजय प्रणाम का सेहरा ।
लगा हर एक लड़ियों में ये धागा बंदेमातरम का
गुँथा है सत के सूई से सिरी सतनाम का सेहरा ।
हरी, हरीओम पढ़कर के ये मालन गूंथ लाई है
नंदन बन स्वर्ग से लायी है मालन श्याम का सेहरा ।
कलम धो-धो के अमृत से लिखा है मास्टर ने ये सेहरा,
सुनाया है रसूल ने आज ये इनाम का सेहरा ।