भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कविता-1 / भरत ओला" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भरत ओला |संग्रह=सरहद के आर पार / भरत ओला}} {{KKCatKavita‎}} <Po…)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
<Poem>
 
<Poem>
  
<nowiki>
 
 
उनकी नजर में  
 
उनकी नजर में  
 
कविता लिखना फैशन है
 
कविता लिखना फैशन है
पंक्ति 23: पंक्ति 22:
 
आज
 
आज
 
जब कौए ने  
 
जब कौए ने  
ऊँट की टाकर पर  
+
ऊँट की टाकर<ref>घाव</ref> पर  
 
मारी चोंच
 
मारी चोंच
 
तो पता नहीं
 
तो पता नहीं
पंक्ति 29: पंक्ति 28:
 
पसर गई कविता  
 
पसर गई कविता  
 
उसके नंगे घावों पर  
 
उसके नंगे घावों पर  
</nowiki>
+
</Poem>
 +
{{KKMeaning}}

13:19, 5 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण


उनकी नजर में
कविता लिखना फैशन है
तभी तो
पड़ौस की ‘मेम’
लिख-लिख कविताएं
उड़ा देती है
पतंग की तरह

मैंने
कितनी बार
लिखनी चाही कविता
पर
नहीं लिखी गई

आज
जब कौए ने
ऊँट की टाकर<ref>घाव</ref> पर
मारी चोंच
तो पता नहीं
कहां से आकर
पसर गई कविता
उसके नंगे घावों पर

शब्दार्थ
<references/>