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"अध:पतन / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर
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जैसे झरना पानी को दूधिया बना देता है। | जैसे झरना पानी को दूधिया बना देता है। | ||
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16:40, 5 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
इतने बड़े अध:पतन की ख़ुशी
उन आँखों में देखी जा सकती है
जो टंगी हुई हैं झरने पर
ऊँचाई हासिल करके झरने की तरह गिरना हो सके तो हो जाए
गिरना और मरना भी नदी हो जाए
जीवन फिर चल पड़े
मज़ा आ जाए
जितना मैं निम्नगा होऊँगा
और और नीचे वालों की ओर चलता चला जाऊँगा
उतना मैं अन्त में समुद्र के पास होऊँगा
जनसमुद्र के पास
एक दिन मैं अपार समुद्र से उठता बादल होऊँगा
बरसता पहाड़ों पर, मैदानों में
तब मैं अपनी कोई ऊँचाई पा सकूँगा
उजली गिरावट वाली दुर्लभ ऊँचाई
कोई गिरना, गिरने को भी इतना उज्ज्वल बना दे
जैसे झरना पानी को दूधिया बना देता है।