भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कहारिन / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल जनविजय |संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे / अनिल जनव…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:28, 8 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
वह कहारिन
काली लड़की
बहुत सुन्दर है
पानी भरते, बरतन मलते
काली लड़की
गीत कोई गुनगुनाती है
मुंडेर पर एक कोयल ठहर जाती है
छोटा कोठा, बड़ा कोठा
रसोईघर, कोठार, आँगन बुहारती है
काली लड़की
दुत-दुत कुत्ते को दुतकारती है
खिड़की में गिलहरी एक फुतकारती है
नीले-लाल, पीले-हरे, काले और सफ़ेद
निकर, धोती, ब्लाऊज, पैंट, कमीज़, चादर, खेस
कपड़ों को कूटती है
काली लड़की
चिनगी बन भीतर-भीतर
धीरे-धीरे, चटक-चटक फूटती है
नेवले-सी चुपचाप साँपों को ढूँढ़ती है
बहुत सुन्दर है
वह कहारिन
एक कोयल
गिलहरी
नेवले-सी
काली लड़की ।