"गुलाब सिंह / परिचय" के अवतरणों में अंतर
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हिन्दी गीतों में यदि आपको आंचलिकता के दर्शन करने हैं तो गीत-कवि गुलाब सिंह के गीत पढ़ें । गुलाब सिंह हिन्दी के अद्वितीय नवगीतकार हैं। 5 जनवरी 1944 को इलाहाबाद के ग्राम बिगहनी में जन्मे इस गीत-कवि के गीतों में ग्राम्याँचल रचा बसा है। देखने में सीधे-सादे, विनम्र और सादगी पसन्द गुलाब सिंह राजकीय इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ग्राम्याँचल केवल गुलाब सिंह के गीतों में ही नहीं बल्कि स्वभाव में भी बसा है। गुलाब सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह महालेखाकार कार्यालय में उच्च पद पर आसीन हैं। इसके बावजूद गुलाब सिंह शहरी चकाचौंध से दूर गाँव में रहना पसन्द करते हैं। शायद गुलाब सिंह के नवगीतों में मौलिकता भी इसी कारण से उपस्थित है। 1962 से देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं। धूल भरे पांव, बाँस और बाँसुरी, जड़ों से जुड़े हुए नवगीत संकलन हैं। पानी के फेरे उपन्यास है । साथ ही साथ डॉ0 शम्भुनाथ सिंह द्वारा सम्पादित नवगीत-दशक और नवगीत-अर्धशती में भी इनकी नवगीत शामिल हैं। तमाम पुरस्कारों से सम्मानित हैं।