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"खिली सुनहरी सुबह / निर्मल शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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19:25, 9 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

यह गीत अधूरा है, आपके पास हो तो कृपया आप इसे पूरा कर दें

खिली सुनहरी
सुबह ग्रीष्म की
बिखरे दाने धूप के।

कंचन पीकर मचले बेसुध,
अमलतास के गात।
ओस हो गई पानी-पानी,
जब तक समझे बात।

रही बाँचती कुल अभियोजन,
अनजाने प्रारूप के ।