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"वह औरत / चन्द्रकान्त देवताले" के अवतरणों में अंतर

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रेतीले मैदान के बीचोबीच
 
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हमेशा अपनी किसी गुमशुदा चीज़ को
 
हमेशा अपनी किसी गुमशुदा चीज़ को
 
 
तलाशती हुई आँखों के साथ एक औरत
 
तलाशती हुई आँखों के साथ एक औरत
 
 
सफ़ेद चट्टान की तरह खड़ी है
 
सफ़ेद चट्टान की तरह खड़ी है
 
  
 
उसके हाथों में ज़रूर टहनियों की
 
उसके हाथों में ज़रूर टहनियों की
 
 
वैसी हरकत है जिसे कोई
 
वैसी हरकत है जिसे कोई
 
 
बारिश का इन्तज़ार कह सकता है
 
बारिश का इन्तज़ार कह सकता है
 
  
 
उसके भीतर से समुद्र गायब हो गया है शायद
 
उसके भीतर से समुद्र गायब हो गया है शायद
 
 
और सफ़ेद रोशनी की जगह
 
और सफ़ेद रोशनी की जगह
 
 
एक काला पत्थर रख दिया है किसी ने
 
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अपने अँधेरे को कुछ-कुछ जानकर भी
अपने अंधेरे को कुछ-कुछ जानकर भी
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वह अदृश्य जल-प्रवाह को सुनती है
 
वह अदृश्य जल-प्रवाह को सुनती है
 
 
और उसके होंठों पर नन्हें पक्षियों की तरह
 
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भयभीत शब्द फड़फड़ाते हैं
 
भयभीत शब्द फड़फड़ाते हैं
 
  
 
वह औरत अपने को सहसा
 
वह औरत अपने को सहसा
 
 
एक पेड़ की तरह
 
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और फिर उससे निकट कर
 
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अंधी उँगलियों से टोहती है एक फूल
अंधी उंगलियों से टोहती है एक फूल
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उसी पेड़ पर
 
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जो वह ख़ुद अभी थी
 
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17:44, 10 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

रेतीले मैदान के बीचोबीच
हमेशा अपनी किसी गुमशुदा चीज़ को
तलाशती हुई आँखों के साथ एक औरत
सफ़ेद चट्टान की तरह खड़ी है

उसके हाथों में ज़रूर टहनियों की
वैसी हरकत है जिसे कोई
बारिश का इन्तज़ार कह सकता है

उसके भीतर से समुद्र गायब हो गया है शायद
और सफ़ेद रोशनी की जगह
एक काला पत्थर रख दिया है किसी ने

अपने अँधेरे को कुछ-कुछ जानकर भी
वह अदृश्य जल-प्रवाह को सुनती है
और उसके होंठों पर नन्हें पक्षियों की तरह
भयभीत शब्द फड़फड़ाते हैं

वह औरत अपने को सहसा
एक पेड़ की तरह
और फिर उससे निकट कर
अंधी उँगलियों से टोहती है एक फूल
उसी पेड़ पर

जो वह ख़ुद अभी थी