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"पसीने वाली कविता / प्रशान्त कुमार" के अवतरणों में अंतर

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22:30, 17 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

पसीने की
पहली बूँद के साथ
माथे से फिसली एक कविता
और हवा के झोंके से सूख गई ।

आगे
हर बार चलते हथौड़े से
मज़दूर के माथे से
ढुलका पसीना ।

शाम
जब वह
थककर घर लौटा
कविता से नहाया हुआ था ।