भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सवेरा / उमेश पंत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उमेश पंत }} {{KKCatKavita}} <poem> सवेरा सूर्य की विजय नहीं हो…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:44, 21 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
सवेरा
सूर्य की विजय नहीं होता ।
अधिकार की लड़ाई में
तारों की पराजय या
चन्दमा का दमन भी नहीं ।
सवेरा
एक यात्रा है
अँधेरे में नहाकर
लौट जाना
रोज़ की तरह
निर्धारित सफ़र के लिए ।
सवेरा
किसी मानी का मद नही
होता
अहं के रंग में रंगी
सोने की
सुर्ख़ तलवार भी नहीं ।
सवेरा
कलाकार का चित्र है
नीले आधार पे उभरता
लाल रंग
और सोने की
छोटी-छोटी पंक्तियाँ ।
सवेरा
काजल की कोठरी में
सयाने का जाना है
और बिना कालिख लगे
सुरक्षित साफ़-साफ़
वापिस लौट आना ।
सवेरा
अंतहीन उजाला नहीं होता ।
निराशा की गर्त में
किसी अँधेरे की
गंभीर प्रतीक्षा भी नहीं ।
सवेरा
एक सच है
रात के सपनों को
साकार करने का
सुनहरा मौक़ा, और
नए सपने की
ज़मीनी हक़ीक़त देखने का भी ।