भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उम्र / निवेदिता" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार =निवेदिता }} {{KKCatKavita‎}} <poem> उम्र अब आई है मेरे पास मेरी…)
(कोई अंतर नहीं)

04:04, 23 फ़रवरी 2011 का अवतरण

उम्र अब आई है मेरे पास
मेरी बेटी बन
सीने से लिपटी है शोख़ चंचल-सी वह
कितनी मासूम-सी है अदा
कैसी इठलाती है
बलखाती है
मेरा बचपन जैसे लौट आया है
पागलों-सा मैं
जंगलों से गुज़रता फिरूँ
नदियों को मापता हुआ
सूरज मेरे दामन में है
आंखों में चाँदनी
उम्र बेख़ौफ़ है ।