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"आग उगलती सदी मिली / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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आग उगलती सदी मिली  
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'''आग उगलती सदी मिली'''
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वृक्ष मिले  
 
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अपने फल खाते  
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अपने फल खाते,
पानी पीती नदी मिली
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पानी पीती नदी मिली। 
जाने क्या हो गया समय को  
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जाने क्या हो गया समय को,
आग उगलती सदी मिली
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आग उगलती सदी मिली। 
सूरज और चांद के घर में  
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सूरज और चांद के घर में ,
बारूदों के ढेर मिले
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बारूदों के ढेर मिले। 
 
कागज की तलवार हाथ में  
 
कागज की तलवार हाथ में  
लिये काठ के  शेर मिले
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लिये काठ के  शेर मिले। 
 
सरकन्डों की राजसभा में  
 
सरकन्डों की राजसभा में  
झुकी छांव बरगदी मिली
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झुकी छांव बरगदी मिली। 
 
राम भरोसे मिली व्यवस्था  
 
राम भरोसे मिली व्यवस्था  
पत्थर मिले दूध पीते  
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पत्थर मिले दूध पीते ,
 
अजगर सोते मिले महल में  
 
अजगर सोते मिले महल में  
केहरि टुकडों पर जीते
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केहरि टुकडों पर जीते। 
 
कुटिया की खेाटी किस्मत को  
 
कुटिया की खेाटी किस्मत को  
पग पग पर त्रासदी मिली
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पग पग पर त्रासदी मिली। 
 
शीश कटी देहों के आगे  
 
शीश कटी देहों के आगे  
भाषण देते लोग मिले  
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भाषण देते लोग मिले ,
 
धनवन्तरि की काया में भी  
 
धनवन्तरि की काया में भी  
लगे भयानक रोग मिले
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लगे भयानक रोग मिले। 
 
इतना हुआ बेरहम मौसम  
 
इतना हुआ बेरहम मौसम  
नेकी मांगी बदी मिली  
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नेकी मांगी बदी मिली ,
 
जाने क्या हो गया समय को  
 
जाने क्या हो गया समय को  
 
आग उगलती सदी मिली।
 
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17:38, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण

आग उगलती सदी मिली

वृक्ष मिले
अपने फल खाते,
पानी पीती नदी मिली।
जाने क्या हो गया समय को,
आग उगलती सदी मिली।
सूरज और चांद के घर में ,
बारूदों के ढेर मिले।
कागज की तलवार हाथ में
लिये काठ के शेर मिले।
सरकन्डों की राजसभा में
झुकी छांव बरगदी मिली।
राम भरोसे मिली व्यवस्था
पत्थर मिले दूध पीते ,
अजगर सोते मिले महल में
केहरि टुकडों पर जीते।
कुटिया की खेाटी किस्मत को
पग पग पर त्रासदी मिली।
शीश कटी देहों के आगे
भाषण देते लोग मिले ,
धनवन्तरि की काया में भी
लगे भयानक रोग मिले।
इतना हुआ बेरहम मौसम
नेकी मांगी बदी मिली ,
जाने क्या हो गया समय को
आग उगलती सदी मिली।