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"एक बार भी बोलती / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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18:32, 19 मई 2008 का अवतरण



मैंने उसे इतना डाँटा

गालियाँ दी

दो तीन बार पीटा भी

फिर भी वह चुपचाप सारा काम करती गई


मैंने उसे जब भी जो कहा

किया उसने

जानते हुए भी बहुत बार कि यह ग़लत काम है

उसने वही किया जो मैंने कहा


पानी का गिलास हाथ में लेने से पहले

मैंने तीन बार दौड़ाया

गिलास गन्दा है

पानी में चींटी है

गिलास पूरा भरा नहीं है

और वह चुपचाप अपनी ग़लती मान कर

दौड़ती रही और जब मैं पानी पी चुका

धीरे से बोली--

पानी अच्छा था?


और मेरा गुस्सा बढ़ता गया

इससे ज़्यादा कोई किसी को तंग भी नहीं कर सकता

आख़िर वह पत्नी थी मेरी

और एक दिन सबके सामने, मेहमानों और घर के लोगों के सामने

मैंने उसे बुरी तरह डाँटा

फिर भी वह कुछ नहीं बोली रोई भी नहीं


अभी भी मैं समझ नहीं पाया

कि वह कभी बोली क्यों नहीं

मरते वक़्त भी वह कुछ नहीं बोली

आँखें बस एक बार डोलीं और...


वह कभी बोली क्यों नहीं

एक बार भी बोलती