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"सवर्णों के प्रति / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर

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(कविता का एक अंश)
  
 
लाखों वर्षो से अछूत पैरों के नीचे,
 
लाखों वर्षो से अछूत पैरों के नीचे,
दबे तुम्हारे, हाय हाय कर रोते हैं,
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दबे तुम्हारे, हाय-हाय कर रोते हैं,
तुम्हें दया कुछ नहीं , तुम्हारे कुटिल पदों को
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तुम्हें दया कुछ नहीं, तुम्हारे कुटिल पदों को
देखो वे अपने शोणित के जल से धोते हैं।
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देखो वे अपने शोणित के जल से धोते हैं ।
(सवर्णों के प्रति कविता अंश)
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22:42, 2 मार्च 2011 के समय का अवतरण

(कविता का एक अंश)

लाखों वर्षो से अछूत पैरों के नीचे,
दबे तुम्हारे, हाय-हाय कर रोते हैं,
तुम्हें दया कुछ नहीं, तुम्हारे कुटिल पदों को
देखो वे अपने शोणित के जल से धोते हैं ।