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"राजकुमारी-8 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
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राजकुमारी ने बताए
अपने महल के
एक के बाद एक
बहुत सारे रहस्य !
वह गुप्त रास्ता
जो खोल देता
सारे रहस्य
वह वहाँ आकर रूकी
और रूकी रही
नहीं खोलने दिया
नहीं खोला वह दरवाज़ा
वह जो भी था
इंतज़ार में
अब भी स्मृति में
वहीं खड़ा है
राजकुमारी खोई है
किसी स्वप्न में
वहाँ भी कोई राजकुमार नहीं ।