भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"घाटी-घाटी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल |संग्रह=गीत माधवी / चन्द्…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:58, 7 मार्च 2011 के समय का अवतरण
कविता का एक अंश ही उपलब्ध है। शेष कविता आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेजें ।
कृषक जोतते खेतों को घाटी-घाटी में
कृषक नारियाँ गाती-गाती काट रही हैं
खेतों-खेतों की पीली शोभा तरू-तरू पर
रस संचित करते फल, बन-बन में चरती हैं
पशुओं की टोलियाँ, कूकते सुन्दर पंछी ।