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"शेष हैं परछाइयाँ / हरीश निगम" के अवतरणों में अंतर
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20:51, 8 मार्च 2011 के समय का अवतरण
फट गए
सारे गुलाबी चित्र
सूख कर
झरता हरापन
और उड़ती धूल
शेष हैं परछाइयाँ कुछ
दर्द वाले फूल
टीसते हैं
फाँस जैसे मित्र
एक आदमखोर-चुप्पी
लीलती दिन-रात
और
दमघोटू हवाएँ
हर कदम आघात,
खो गए
काले धुएँ में इत्र