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02:07, 14 मार्च 2011 के समय का अवतरण

एक दिन मिटा दिया जाएगा
इतिहास के पन्नों से हमारा नाम

एक दिन ढहा दिए जाएँगे
हमारे ईमानों के घर

एक दिन सच रह जाएगा
विस्मृत पुण्यतिथि की तरह

एक दिन काटा जाएगा
बकरे की तरह हमारा प्यार

एक दिन खूँद दी जाएँगी
घोड़ों की टापों से उठने वाली आवाज़ें

एक दिन लौटाया नहीं जाएगा
हमारे हिस्से का आकाश

एक दिन धर्मांध लोग होंगे
फ़साद की सबसे बड़ी जड़

एक दिन याद नहीं रह जाएगा
फूहड़ गानों के बीच राष्ट्रगान ।