भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चोट / ओमप्रकाश वाल्मीकि" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओमप्रकाश वाल्मीकि |संग्रह=सदियों का संताप / ओम…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:07, 23 मार्च 2011 के समय का अवतरण
पथरीली चट्टान पर
हथौड़े की चोट
चिंगारी को जन्म देती है
जो गाहे-बगाहे आग बन जाती है
.
आग में तपकर
लोहा नर्म पड़ जाता है
ढल जाता है
मनचाहे आकार में
हथौड़े की चोट में ।
एक तुम हो,
जिस पर किसी चोट का
असर नहीं होता ।
(फ़रवरी, 1985)