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"बारिश / शहंशाह आलम" के अवतरणों में अंतर
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वह कुछ बोलती नहीं है सिर्फ़ नहाती है | वह कुछ बोलती नहीं है सिर्फ़ नहाती है | ||
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बारिश में नहाते हुए | बारिश में नहाते हुए | ||
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वह अपनी आत्मा को | वह अपनी आत्मा को | ||
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18:57, 31 मार्च 2011 के समय का अवतरण
बहुत देर तक भीगती है झींसी में
पानी की बूंदों में
वह कुछ बोलती नहीं है सिर्फ़ नहाती है
बारिश में नहाते हुए
तोते के पंख से भी हल्का महसूस करती है
वह अपनी आत्मा को