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"अछूत का इनार-6 / मुसाफ़िर बैठा" के अवतरणों में अंतर
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इस अनूठे इनार के पानी का स्वाद
उस वक्त कितना गुनित फलित हो गया होगा
जब शूद्र हलवाइयों का सवर्णी अहं
दादी के अछूत पानी का
पहला घूंट निगलते ही
भरभरा कर गिर गया होगा