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"अछूत का इनार-7 / मुसाफ़िर बैठा" के अवतरणों में अंतर
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अब इस इनार के
रोगहर प्रताप की बाबत जब
पुरा मन हलवाइयों को
अपना अहं इनार छोड़
दादी के अछूत इनार में
दलितों के संग संग
अपनी बाल्टी की डोर
उतारनी खींचनी पड़ती होगी
तो इससे बंधकर आए जल का आस्वाद
कितना अलग अलग होता होगा
दादी जैसों के लिए
और उन पानी पानी हुए
हलवाइयों के लिए