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"नाथ निरंजन आरती साजै / गोरखनाथ" के अवतरणों में अंतर

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                   नाथ निरंजन आरती साजै |
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                   नाथ निरंजन आरती साजै
                   गुरु के सबदूं झालरि बाजे ||
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                   गुरु के सबदूं झालरि बाजे ।।
 
   
 
   
अनहद नाद गगन में गाजै, परम जोति तहाँ आप विराजै |
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अनहद नाद गगन में गाजै, परम जोति तहाँ आप विराजै
दीपक जोति अषडत बाती, परम जोति जगै दिन राती |
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दीपक जोति अषडत बाती, परम जोति जगै दिन राती
सकल भवन उजियारा होई, देव निरंजन और न  कोई |
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सकल भवन उजियारा होई, देव निरंजन और न  कोई
अनत कला जाकै पार न पावै, संष मृदंग धुनि  बैनि बजावै |
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अनत कला जाकै पार न पावै, संष मृदंग धुनि  बैनि बजावै
स्वाति बूँद लै कलस बन्दाऊँ, निरति सुरति लै पहुप चढाऊँ |
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स्वाति बूँद लै कलस बन्दाऊँ, निरति सुरति लै पहुप चढाऊँ
निज तत नांव अमूरति मूरति, सब देवां सिरि उद्बुदी सूरति |  
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निज तत नांव अमूरति मूरति, सब देवां सिरि उद्बुदी सूरति  
आदिनाथ नाती मछ्न्द्र ना पूता, आरती करै गोरष ओधूता |
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आदिनाथ नाती मछ्न्द्र ना पूता, आरती करै गोरष ओधूता
 
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19:04, 3 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

                  नाथ निरंजन आरती साजै ।
                  गुरु के सबदूं झालरि बाजे ।।
 
अनहद नाद गगन में गाजै, परम जोति तहाँ आप विराजै ।
दीपक जोति अषडत बाती, परम जोति जगै दिन राती ।
सकल भवन उजियारा होई, देव निरंजन और न कोई ।
अनत कला जाकै पार न पावै, संष मृदंग धुनि बैनि बजावै ।
स्वाति बूँद लै कलस बन्दाऊँ, निरति सुरति लै पहुप चढाऊँ ।
निज तत नांव अमूरति मूरति, सब देवां सिरि उद्बुदी सूरति ।
आदिनाथ नाती मछ्न्द्र ना पूता, आरती करै गोरष ओधूता ।