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10:59, 5 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काला घगरा सियाई के, ओ धोबण पाणीये जो चल्ली है मैं तेरी सो. णा
मत जांदी धोबणे तू मेरिये ओथु राजेयाँ डा डेरा है मैं तेरी सो.
धोबणे घड़ा सिरे चुकया धोबण पानीये जो गयी है मैं तेरी सो.
पहलिया पोडिया उत्तरी, राजे गिट्टूये दी मारी है मैं तेरी सो.
दूजिया पोडिया उत्तरी ओ राजें बांह फड लई है मैं तेरी सो
छड़ी देयां राजेंया बाईं जो, ओ मेरी जात कमीनी है मैं तेरी सो.
जाती दा मैं क्या करना ओ तेरी सूरत बड़ी सोणी है मैं तेरी सो.
आगे आगे राजा चल्या पीछे धोबणी दा डोला है मैं तेरी सो.
खबर करो महलां रानिया तेरी सोतन भी आई है मैं तेरी सो.
आई है ता ओणा दे मैं भी बसणा दी है मैं तेरी सो
अपु बैठी रानी पलगें धोबण पन्दी पर बिठाई है मैं तेरी सो.
कालियां पिन्नियां बणाइयां बिच जहर मिलाया है मैं तेरी सो.
खाई लेयां धोबणे तू पिन्नियां' बाजी प्योकियाँ ते आई है मैं तेरी सो.
पहली पीनी खायी है धोबणी ओ धोबण मूंदे मुन्हे पयी है मैं तेरी सो.
दूजी पिन्नी खायी है धोबणी, धोबण मरी मुक्की गयी है मैं तेरी सो.
चन्नणे दी सेज बनाई के धोबण नदिया रड़ाई है मैं तेरी सो.
आगे धोभी कपडेयां धोम्दा' पासे सेज रूडदी आई है मैं तेरी सो.
सेज गुआडी करी दिखया मेरी धोबन रूडदी आई है मैं तेरी सो.
सोनी सूरत वालिये कजो जान गुआई है मैं तेरी सो।