भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मृत्यु / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर …)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
 
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
 
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
 
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
+
}}{{KKAnthologyDeath}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
 
आज सुनी मृत्‍यु की खबर  
 
आज सुनी मृत्‍यु की खबर  
 
और दहल गया  
 
और दहल गया  

01:45, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

आज सुनी मृत्‍यु की खबर
और दहल गया
हालांकि यह मृत्‍यु थी मां की
हरि की मां

और जब यह फोन आया
मैं मां के पास था
मैंने मां को देखा
वह सो रही थी
मैंने हमेशा की तरह रजाई में दुबकी
उसकी सांसों का चलना देखा
उसका माथा छुआ
वह ठण्‍ड में डूबा था
लेकिन सांसें चल रही थीं

इसमें आश्‍वस्‍त होने के बाद भी एक भय था
मैं अपनी मां को देख रहा था
कि जैसे उस मां को जिसकी अभी-अभी खबर मैंने सुनी
और भीतर तक दहल गया

एक मां के न होने से कितनी सूनी हो गई दुनिया
00