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19:40, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
झूलत राम सिया की जोड़ी, रेशम डोर झुलनवाँ ना ।।
मणि खम्भन विच पड्यो हिडोला, कंचन भवन अँगनवा ना ।।
हनुमत, भरत, लखन, रिपुसूदन, प्रमुदित करि दरसनवाँ ना ।।
शम्भु, भुशुण्डि अवध-गलियन विच, विचरत करैं बखनवाँ ना ।।
निरखत छवि बलि जाहिं कौशल्या, फिर-फिर आये सवनवाँ ना ।।
'आर्त' चहत तव कृपा विलोकनि, मगन गाई कीर्तनवा ना ।।