"रामनवमी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=चंदन की कलम शहद में डुबो-…) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल | ||
|संग्रह=चंदन की कलम शहद में डुबो-डुबो कर / गुलाब खंडेलवाल | |संग्रह=चंदन की कलम शहद में डुबो-डुबो कर / गुलाब खंडेलवाल | ||
− | }} | + | }}{{KKAnthologyRam}} |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
<poem> | <poem> | ||
19:52, 13 अप्रैल 2011 का अवतरण
दो सूत प्यारे
दशरथ की आँखों के तारे
बड़ी कठिनता से पाकर
मुनि वन को सिधारे
रण की दीक्षा,
मिली कुमारों को शुभ शिक्षा
विजित ताड़का-सुबाहु निशिचर
सफल परीक्षा
नव परिणीता
चली राम के सँग-सँग सीता
धनुष-भंग से हर्षित जन-मन
देवों का दुःख बीता
धूम अभिषेक की,
काल से चली नहीं एक की
कुबुद्धि-मंथरा-प्रेरित
वामा वाम टेक की
कैकेई कोप-भवन में
काँपे दशरथ सुनकर मन में
दो वरों के साथ ही
प्राण दे दिए क्षण में
प्रिया-अनुज साथ,
वन को चले राम रघुनाथ
भेज दी चुनौती लंकापति को
दुरमति शूर्पणखा के हाथ
सीता के हरण की,
वेदना जटायु के मरण की
कौन जाने पवनसुत बिना,
पीड़ा राम के मन की!
हाँक हनुमान की,
सुनते ही पुलक उठी जानकी
पल में स्वर्ण-लंका जल राख हुई,
भूसी ज्यों धान की
कुम्भकर्ण, मेघनाद,
अंत में रावण भी गया मलते हाथ
रण जीतकर फिरे अयोध्या में श्री राम,
सीता-लक्ष्मण साथ!