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"वह पिनाक था परंपरा का / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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19:53, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

जो धनुष
राम ने तोड़ा,
वह पिनाक था
परंपरा का,
उसे राम ने तोड़ा,
भू कन्या
सीता को ब्याहा;
ब्याह सके थे
जिसे न कोई
उसे तोड़कर
राज-वंश के योद्धा

तब
उस युग में
परंपरा ही शिव थी
इसीलिए वह धनुष बन गई शिव की

जनक
प्रकृति से विद्रोही थे
परंपरा के
इसीलिए प्रण ठाना।
तोड़ो धनुष-
ब्याह लो सीता-
जो जमीन की सादर बेटी
यह सच बात
आज भी सच है :

तोड़ो
तोड़ो
परंपरा को
बनो राम
ब्याहो
धरती की बेटी सीता।

रचनाकाल: २७-०८-१९७२, रात