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"तब राम राम कहि गावैगा / रैदास" के अवतरणों में अंतर

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ररंकार रहित सबहिन थैं, अंतरि मेल मिलावैगा।। टेक।।  
 
ररंकार रहित सबहिन थैं, अंतरि मेल मिलावैगा।। टेक।।  

20:02, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

तब रांम रांम कहि गावैगा।
ररंकार रहित सबहिन थैं, अंतरि मेल मिलावैगा।। टेक।।
लोहा सम करि कंचन समि करि, भेद अभेद समावैगा।
जो सुख कै पारस के परसें, तो सुख का कहि गावैगा।।१।।
गुर प्रसादि भई अनभै मति, विष अमृत समि धावैगा।
कहै रैदास मेटि आपा पर, तब वा ठौरहि पावैगा।।२।।