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"शेष कुशल है / राधेश्याम तिवारी" के अवतरणों में अंतर
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चारों ओर मची हलचल है
शेष कुशल है ।
आई बाढ़ भरा है पानी
अपनी भी रह गई पलानी
राहत के पीछे भी छल है
शेष कुशल है ।
गाँव छोड़ अखिलेश गया है
कुछ करने परदेश गया है
इस चिंता में मन पागल है
शेष कुशल है ।
बाबा-अम्मा देख न पाते
दुख से अपनी मौत बुलाते
इनकी खटिया में खटमल है
शेष कुशल है ।
मंत्री हैं अब राजा-रानी
असली राजा भरता पानी
संसद के भीतर जंगल है
शेष कुशल है ।
परिवर्तन अब नारों में है
उपलब्धि अख़बारों में है
नालों में ही गंगाजल है
शेष कुशल है।